बाढ़-भूकटाव के बावजूद रास महाेत्सव का वृहत आयाेजन प्रशंसनीयः भास्कर कलिता
–हनी झांझरी
पलाशबाड़ी, 13 दिसम्बर। कामरूप जिले (Kamrup District) के पलाशबाड़ी नगर (Palashbari Town) में आयोजित पलाशबाड़ी रास महोत्सव (Palashbari Raas Festival) के महारजत जयंती (75 वर्षीय) के उपलक्ष्य में विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे भारतीय सेना के मेजर जनरल भास्कर कलिता (सेवानिवृत्त) (Major General Bhaskar Kalita (Retd). ने दीप प्रज्वलन कर सांस्कृतिक मंच का उद्घाटन किया।
इस उपलक्ष्य पर पलाशबाड़ी रास महोत्सव आयोजन समिति के सहायक सचिव पंकज कुमार दास के संचालन में आयोजित सभा में असम के लोकप्रिय युवा अभिनेता स्वर्गीय किशोर दास काे भी श्रद्धांजलि दी गई।
कार्यक्रम के दाैरान दक्षिण कामरूप बीजेपी (South Kamrup District BJP President) के अध्यक्ष अंजन ज्योति गोस्वामी, सांस्कृतिक कर्मी बनजीत तालुकदार, व्यवसायी तपन दास के अलावा कईं विशिष्ट व्यक्ति उपस्थित थे। आयोजकों ने अतिथियों का फूलाम गमछा, जापी व रास महोत्सव की स्मारिका रासक्रीड़ा भेंट कर स्वागत किया।
अपने संक्षिप्त संबाेधन में मेजर जनरल भास्कर कलिता (सेवानिवृत्त) ने कहा कि दक्षिण कामरूप वासियों का ठिकाना है पलाशबाड़ी। राज्य के किसी भी कोने में जब भी काेई हमसे हमारा ठिकाना पूछता है, तब हम स्वयं काे पलाशबाड़ी का निवासी बताकर गाैरव अनुभव करते हैं। पलाशबाड़ी एक ऐतिहासिक नगर है। देश की स्वाधीनता से दशकों पहले से ही पलाशबाड़ी वाणिज्य नगरी के ताैर पर विख्यात था। सिर्फ व्यापार-वाणिज्य ही नहीं, अपितु शिक्षा का भी केन्द्रस्थल था पलाशबाड़ी नगर।
उन्हाेंने कहा कि सन 1920 में स्थापित रिधकरण बालचंद (आर बी) हाई स्कूल में पढ़ने के लिये दूर-दूर से छात्र पलाशबाड़ी पहुँचते थे। श्री कलिता ने अपने सैन्य जीवन की यादों काे ताजा करते हुये कहा कि पलाशबाड़ी-हुदमपुर के दिवंगत भारत चंद्र कलिता 1995 तक महाराष्ट्र के पुणे में स्थित राष्ट्रीय प्रतिरक्षा अकादमी (National Defence Academy) में अध्यापक के ताैर पर कार्यरत थे। इस दाैरान वहां अध्ययन-प्रशिक्षण के लिये पहुंचने वाले असम व पूर्वोत्तर के हर छात्र के लिये भारत चंद्र कलिता (Late Bharat Chandra Kalita) पितृतुल्य थे। हमारे जीवन में उनका प्रभाव असीम है।
उन्होंने कहा कि बाढ़ व भूकटाव के तांडव के कारण बड़ी तादाद में लोग यहां से विस्थापित हाे गये। लेकिन इतनी भारी प्राकृतिक आपदा के बावजूद इलाके के लाेगाें के उत्साह में कोई कमी नहीं आई। लाेगाें ने हर परिस्थिति में रास महोत्सव के आयोजन काे जारी रखा, इसी का नतीजा है कि आज पलाशबाड़ी रास अपनी महारजत जयंती मना रहा है।
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