चुनौतीपूर्ण परिस्थितियाें में बेहतर सड़कों के निर्माण में नई तकनीकों पर BRO का जारी अनुसंधान (Research)
देश के कईं दुर्गम व सीमावर्ती इलाकों को हर मौसम में उपयुक्त सड़कों के जरिये जाेड़े रखकर उनके सर्वांगीण विकास में सीमा सड़क संगठन (BRO) अपनी स्थापना काल से ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अधीन यह संस्था सड़क निर्माण में नई तकनीक के प्रयोग व विकास के लिये भी सतत कार्य कर रही है।
पड़ाेसी राज्य शिलांग में स्थित बीआरओ के अनुसंधान व विकास विंग (R&DE) सड़क निर्माण के लिए नई तकनीकों और सामग्रियों के विकास में जुटा हुआ है।
खासकर उत्तर पूर्वी क्षेत्र में भारी वर्षा वाले इलाकों और उत्तरी क्षेत्र में भारी बर्फबारी वाले इलाकों में सड़क निर्माण प्रौद्योगिकी में दीर्घकालिक और सतत समाधान विकसित करने में एक बड़ा कदम उठा रहा है, जहाँ सिविल इंजीनियरों को भारी बारिश और बर्फबारी के कारण सड़क निर्माण और रखरखाव में टिकाऊपन को लेकर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
इस संदर्भ में मुख्य अभियंता राजीव दुआ ने इस संवाददाता से हुई बातचीत के दौरान बताया कि उत्तर पूर्व और बर्फीले क्षेत्रों में बनाई गई सर्वोत्तम गुणवत्ता की सड़कें भी अपने अपेक्षित आयु को पूरा नहीं कर पाती और भारी रखरखाव की ज़रूरत पड़ती है, जिससे राज्य सरकार के खजाने पर बोझ बढ़ता है।
उन्होंने बताया कि चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में अच्छा बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए अनुसंधान एवं विकास (R&D) के माध्यम से नई तकनीक और सामग्रियों का विकास समय की आवश्यकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (CRRI) और देश के कई प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों जैसे आईआईटी व एनआईटी के साथ हाथ मिलाया है, ताकि पुस्तकीय ज्ञान और जमीनी अनुभव को मिलाकर अत्याधुनिक तकनीक विकसित की जा सके।
बिटुमिनस और कंक्रीट निर्माण पर कई शोध प्रस्ताव पहले से ही उन्नत चरण में हैं, जबकि कुछ अन्य भविष्य के लिए योजना में हैं।
उद्योग जगत भी इन नई सामग्रियों के परीक्षणों में भाग ले रहा है, जिसके जरिए बिटुमिन से बनी सड़क संरचनाओं की आयु बढ़ाने और तेज़ निर्माण के साथ बेहतर गुणवत्ता वाली सड़कों के निर्माण के समाधान खोजे जा रहे हैं, जिसका लाभ विशेषकर उत्तर पूर्वी राज्यों को और सामान्यतः पूरे देश को मिलेगा।