Arunachal Pradesh Frontier Highway के तहत 200 किमी सड़क निर्माण का जिम्मा प्रोजेक्ट ब्रह्मांक के कंधों पर
हनी झांझरी, पासीघाट (अरुणाचल प्रदेश)। प्रतिरक्षा के दृष्टिकोण से अति महत्वपूर्ण व संवेदनशील अरुणाचल प्रदेश के सीमाई इलाकों में संरचनात्मक विकास कार्यों में पहले के मुकाबले काफी तेजी आई है। इस तेजी के पीछे की वजह केंद्र सरकार की विशेष पहल के साथ ही राज्य सरकार की सहभागिता भी एक प्रमुख कारक है।
खासकर, Arunachal Pradesh के भारत-चीन (तिब्बत) सीमावर्ती इलाकों में सड़क, पुल, सुरंग, हेलीपेड, एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) समेत आर्थिक-सामाजिक व सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण आधारभूत संरचनाओं का निर्माण जाेर-शाेर से चल रहा है।
पड़ाेसी देश के लगातार एतराज के बावजूद भारत अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिये कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। इसी कड़ी में भारत सरकार ने Arunachal Pradesh में फ्रंटियर हाईवे का निर्माण का काम हाथ में लिया है, जो सीमाई क्षेत्रों काे हर मौसम में सड़क यातायात से जोड़कर रखेगा। इस प्रस्तावित हाईवे की लंबाई लगभग 2 हजार किमी है जाे बाेमडिला (वेस्ट कामेंग जिला) से विजयनगर (चांगलांग जिला) काे बेहतरीन सड़काें से जाेड़ेगा। इसी फ्रंटियर हाईवे के तहत लगभग 200 किमी सड़क का निर्माण सीमा सड़क संगठन (Border Roads Organisation) के ब्रह्मांक प्रोजेक्ट मुख्यालय काे सौंपा गया है।
मालूम हो कि प्रदेश के ईस्ट सियांग जिले के अंतर्गत पासीघाट में बीआरओ के प्रोजेक्ट ब्रह्मांक का मुख्य कार्यालय स्थित है। ब्रह्मांक के मुख्य अभियंता (चीफ इंजीनियर) अजय कुमार मिश्रा (वीएसएम) ने इस संवाददाता से हुई विशेष मुलाकात में कहा कि आने वाले 3-4 सालों में प्रोजेक्ट ब्रह्मांक के अन्तर्गत Arunachal Pradesh के सियांग (Siang) व सियाेमी उपत्यकाओं के इलाकों में संरचनात्मक सुविधाएं बेहतरीन हो जायेंगी।
वर्ष 2011 में स्थापित इस प्रोजेक्ट के तत्वावधान में अब तक कई महत्वपूर्ण सड़क परियाेजनओं का कार्य संपन्न हो चुका है व कई परियोजनाओं का काम पूर्ण गति से चल रहा है। क्षेत्र में लगभग 1300 किमी लम्बी सड़कों के निर्माण व देखभाल का दारेामदार प्राेजेक्ट ब्रह्मांक संभाल रहा है। उन्हाेंने बताया कि प्रतिकूल मौसम व अन्य बाधाओं के बावजूद बीआरओ के अधिकारी, जवान व निर्माण से जुड़े श्रमिक दिन-रात एक कर सड़क निर्माण की परियाेजनओं काे समय से पहले समाप्त करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं।
उन्हाेंने बताया कि दुर्गम पहाड़ों पर सिर्फ सड़क व पुल निर्माण ही नहीं, अपितु प्रतिरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण हेलीपैड, एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड व अन्य आवश्यक संरचनात्मक निर्माण की कई परियोजनाओं का काम जारी है। उन्हाेंने आशा जताई है आने वाले दिनों में क्षेत्र के विकास में महा-परिवर्तन हाेगा। फ्रंटियर हाईवे के साथ सीमाई इलाकों काे जोड़कर इन इलाकों काे विकास की मुख्यधारा से जोड़ना संभव हाेगा। सिर्फ यही नहीं, देश के पर्यटन मानचित्र में भी राज्य के कईं नये इलाके शुमार हाे जायेंगे।
सड़क निर्माण में नई तकनीक के इस्तेमाल के साथ-साथ सड़क किनारे पर अतिरिक्त सुविधाओं के लिये यूटिलिटी डक्ट भी बनाये जा रहे हैं, ताकि भविष्य में अन्य कामों के लिये खुदाई भी हाे, ताे सड़कों काे काेई क्षति न पंहुचे। वहीं, कटाई के बाद पहाड़ों का टूटना कम हो पाये, इसके लिये भी नई तकनीकों का प्रयोग जारी है। खासकर पर्यावरण काे कम से कम नुकसान पहुँचाकर, कटाई से कई गुना ज्यादा पेड़ लगाने के लिए भी विशेष राशि का आवंटन सरकार कर रही है।
अरुणाचल प्रदेश के विकास काे केंद्र सरकार द्वारा प्राथिमकता दिये जाने की बात स्वीकारते हुए उन्हाेंने कहा कि जिस राज्य में सीमा सड़क संगठन का सिर्फ एक प्राेजेक्ट हुआ करता था, वहां वर्तमान में कुल 4 प्राेजेक्ट चल रहे हैं, जिससे विकास की गति काे कईं गुना रफ्तार मिल पाई है।
उन्हाेंने कहा कि भूस्खलन जैसी परिस्थिति के लिये बीआरओ सदैव तत्पर रहता है व एसी किसी भी घटना के बाद 2-3 घंटों के बीच ही मिट्टी-पत्थर हटाकर सड़क यातायात पुनः खोल दिया जाता है। पीएम वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत सीमाई गेलींग कस्बे में विशालकाय राष्ट्रीय ध्वज स्थापित करने व अन्य संरचनात्मक कार्य प्रगति पर हैं। ज्ञात रहे कि अजय कुमार मिश्रा ने गत वर्ष 11 अगस्त काे प्रोजेक्ट ब्रह्मांक का कार्यभार संभाला था। श्री मिश्रा अरुणाचल प्रदेश के जम्मू-कश्मीर व देश के अन्य इलाकों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
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