अंतर्राष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा के साथ सीमाई लाेगाें का दिल जीत रही सीमा सुरक्षा बल

मानकछार से अशाेक अग्रवाल, 3 नवंम्बर।

गुवाहाटी फ्रंटियर सीमा सुरक्षा बल (सीसुब) पर असम के दक्षिण-शालमारा मानकछार जिले की भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा का पूरा दारोमदार है। सिर्फ सीमा की सुरक्षा ही नहीं, सीमा के दाेनाें तरफ किसी भी तरह की राष्ट्रविरोधी व गैर-कानूनी हरकताें कर अंकुश लगाने के लिये सीमा सुरक्षा बल के जवान चाैबीसाें घंटे मुस्तैद रहते हैं।

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सीमा पर मुस्तैद सीसुब की वीरांगनायें

भारत व पड़ोसी देश बांग्लादेश की बीच संबंध मैत्रीपूर्ण होने के बावजूद सीमा सुरक्षा में सीसुब के जवान सीमा पर किसी भी प्रतिबंधित सामग्री की तस्करी, गाै-तस्करी आदि के खिलाफ तत्पर रहते हैं। इस संवाददाता ने दक्षिण शालमारा-मानकछार जिला की भारत-बांग्लादेश की जल व स्थल सीमा का दाैरा किया व यहां तैनात बल के अधिकारियों व जवानों से बातचीत की, उन्होंने वर्तमान के हालात के बारे में जानकारी दी।

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सीमाई लाेगाें की तलाशी

ज्ञात रहे कि यह इलाका गुवाहाटी फ्रंटियर के धुबड़ी सेक्टर के अन्तर्गत मेघालय के तुरा स्थित 45 बटालियन के अधीनस्थ है। यह बटालियन हलधीगंज से सदातिया के बीच 39 किमी सीमा की रखवाली करती है, जिसमे 4.92 किमी सीमा नदी में पड़ती है। स्थल सीमा पूरी तरह से बाड़ (फेंसिंग) लगी है व निर्धारित सीमा पर जवान तैनात रहते हैं। रात के समय सीमा पर फ्लड लाइट जलती है, जिससे रात के वक्त भी सीमा पर किसी भी हरकत का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस सीमा पर कुल 333 फ्लड लाईटें लगाई गई हैं। वहीं, जल सीमा की सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक तकनीक व नाैका का व्यवहार किया जाता है। जलमार्ग से यातायात करने वाले भारतीय नागरिकाें के दस्तावेज व साजाे-सामान की नियमित तलाशी की जाती है।

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फेंसिंग की दूसरी तरफ जाने से पहले तलाशी

जानकारी के अनुसार, जलमार्ग के जरिये अब भी गाै-तस्करी का प्रयास जारी है। हालांकि अत्याधुनिक तकनीक व नाैकाओं के जरिये तस्करों के मंसूबों पर सीसुब पानी फेर देती है। सीसुब की वाटर विंग इस काम काे बखूबी से अंजाम देती है।

मालूम हाे कि झाला चल इलाके में सीमा पर स्थित एक 80 साल पुरानी मस्जिद, बाड़ के दूसरी तरफ स्थित है। मस्जिद में धार्मिक कार्य हेतु स्थानीय लोगों के आवागमन के लिये सीसुब पूरी तरह से मदद करता है। निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत लाेगाें के नाम पंजीकृत कर उन्हें फेेंसिंग (बाड़) पर लगे दरवाजे के जरिये जाने की अनुमति दी जाती है। स्थानीय लाेगाें ने उनकाे सहयाेग प्रदान करने हेतु सीसुब की प्रशंसा की।

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नाव पर सवार यात्रियाें की तलाशी

इस संवाददाता ने स्थानीय वार्ड सदस्य बाेक्ताे जमान से बातचीत की ताे उन्हाेंने बताया कि सीसुब के जवान सीमाई लाेगाें की मदद के लिये हर वक्त तैयार रहते हैं। चाहे काेई प्राकृतिक आपदा हाे, दुर्घटना या मेडिकेल इमरजेंसी, सीसुब के जवान हर वक्त लाेगाें की मदद काे तत्पर रहते हैं।

उधर, 45 बटालियन सीसुब के एक अधिकारी ने बताया कि समय-समय पर सीसुब द्वारा सिविक एक्शन कार्यक्रमाें का आयाेजन किया जाता है जिनमें स्थानीय विद्यालयाें में जरुरत के सामान, खेलाें काे बढ़ावा देने के लिये बच्चाें में खेल-कूद के सामान प्रदान किये जाते हैं। समय-समय पर मेडिकल केम्प लगातर इन सीमाई इलाकाें की जनता की मदद का प्रयास किया जाता है।

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